Khaitan विहीन Raniganj Chamber of Commerce का सपना देखने वाले हुए धराशायी, विरोधी शून्य की उपाधी पाकर Sandip Bhalotia अब क्या RCC की राजनीति में ‘No Entry' ?



रानीगंज: पश्चिम बंगाल राज्य में कोलकाता के पश्चात प्रतिष्ठित व्यवसायिक संगठन के रुप में रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स की एक अलग पहचान है और निःसंदेह इस पहचान के पीछे स्वर्गीय गोविंद राम खेतान, स्वर्गीय गौरीशंकर नंदी, स्वर्गीय जौहार लाल साव जैसे व्यवसायियों के प्रति लगाव रखने वाले सख्शियत की वजह हुयी है। और इसी रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स को खेतान शून्य चेम्बर करने की मंशा रखने वाले लोग महज तीन सालो में हासिएं पर चले गए और रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स खेतान शून्य तो नहीं हुआ, परन्तु विरोधी शून्य जरुर हो गया। रविवार को संपन्न हुए रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स के कार्यकारिणी समिति के चुनावी नतीजो ने एक से अधिक महत्वपूर्ण फैसलो का खुलासा किया। रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स के कार्यकारिणी समिति के चुनावी नतीजो ने न केवल आरबीसी को पुनः एक बार दो सालो के लिए सत्ता सौंपी बल्कि विरोधी दल का पूरी तरह से सुपड़ा साफ कर दिया। रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स के 23 सीटो के लिए हुए कार्यकारिणी समिति के चुनाव में इसबार विरोधी दल टीआरपी को एक सीट भी नहीं मिली। यहां तक की इस विरोधी दल ने पूरी सीटो पर अपने उम्मीदवार भी खड़े नहीं कर पाए और हार स्वीकार कर ली। इसके पूर्व वर्ष 2021 के कार्यकारिणी समिति के चुनाव में टीआरपी ने 23 सीटो में से 22 सीटो पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। परन्तु केवलमात्र 2 सीटे ही जीत पायी और इन नतीजो के लिए टीआरपी का नेतृत्व कर रही चेम्बर के पूर्व अध्यक्ष संदीप भालोटिया पर थोपा गया। रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स के पिछले 5 सालो के चुनावी नतीजो पर नजर डाले तो एक बात का स्पष्ट रुप से सामने आती है कि 3 सालो तक आर.पी.खेतान की नेतृत्व वाली दल रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स की सत्ता से बाहर रही और संदीप भालोटिया की नेतृत्व वाली टीआरपी चेम्बर की सत्ता पर काबिज रही। रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स (आरसीसी) के नेता आर.पी.खेतान ने स्वंय चेम्बर की कुर्सी संदीप भालोटिया को सौंपी और यही से शुरु हुआ था चेम्बर में सत्ता और विपक्ष की परंपरा का दौर। लगातार तीन वर्षो तक आर.पी.खेतान की नेतृत्व वाली दल को चेम्बर की सत्ता से बाहर रहे और धीरे-धीरे संदीप भालोटिया का आत्मविश्वास चेम्बर पर इस कदर हावी हुआ कि संदीप भालोटिया ने चेम्बर की बोर्ड मीटिंग से लेकर शहर की चाय और पान दुकान के अड्डे तक खेतान शुन्य रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स बनाने के नारे लगाते नजर आए। किन्तु इसके बाद भी आर.पी.खेतान और रोहित खेतान की नेतृत्व वाली रानीगंज व्यवसायिक कम्यूनिटी अर्थात आर.बी.सी ने अपने हल नहीं छोड़ा और सक्रिय रुप से चेम्बर की राजनीति में डटे रहे। बस फर्क इतना रहा कि वर्ष 2020 की हार के बाद चेम्बर की राजनीतिक की पूरी कमान रोहित खेतान ने अपने हाथ में ले ली और यहीं से शुरु हुआ चेम्बर के पूर्व अध्यक्ष संदीप भालोटिया और आर.बी.सी दल के नेता रोहित खेतान के बीच की राजनीति। आंकड़े कहते है आरबीसी भले ही दो साल तक चेम्बर की सत्ता से बाहर रही परन्तु चेम्बर के विरोधी दल के रुप में जो सीटे जीतकर आए वह सत्ता के करीब थी और सीटो का अंतर महज 2 से 3 ही था। इस दरमियान रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स की सत्ता से बाहर रहते हुए भी स्वर्गीय गोविंद राम खेतान का परिवार रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स की गतिविधियों से कभी भी अपने आप को अलग नहीं रखा और सत्ता पक्ष द्वारा किए गए हर मान-अपमान के बीच भी अपना हौसला बनाया रखा और इधर संदीप भालोटिया की नेतृत्व वाली चेम्बर आॅफ कामर्स में धीरे-धीरे अनैतिकता की ओर अपने कदम बढ़ाते चली गयी। यहां तक की अपने ही दल टीआरपी से चुनाव में जीतकर आए ओमप्रकाश केजरीवाल को पहले रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स का सचिव बनाया गया और फिर कुछ ही महीनो में बिना किसी शोकाॅज नोटिस के ही चेम्बर के सचिव पद से हटा दिया गया और मनमाने ढंग से उज्ज्वल मंडल को सचिव बनाया गया। संदीप भालोटिया के इस रवैया का उसी के दल के कुछ लोगो ने दवी जुवान विरोधी भी किया। परन्तु संदीप भालोटिया के इस मनमौजी रवैये के सामने किसी की एक न चली। ऐसे कई फैसले बतौर चेम्बर के अध्यक्ष के रुप में संदीप भालोटिया ने लिया, जिसे न तो विरोधी और न ही सत्ता पक्ष के लोगो ने स्वीकार किया। संदीप भालोटिया के ही कार्यकाल में फैशन शो के ट्रायल के लिए चेम्बर का काॅन्फ्रेंस हाॅल दिया गया। जिसका विरोधी रानीगंज के व्यवसायी वर्ग ने भी किया। यहां तक रानीगंज चेम्बर आॅफ काॅमर्स के इतिहास में जो अब तक नहीं हुआ था वह भी संदीप भालोटिया ने कर दिखाया। रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स के अध्यक्ष पद पर रहते हुए एक राजनैतिक दल में शामिल हो गए और चेम्बर की कुर्सी पर सुबह तो रात में राजनैतिक दल की कुर्सी में बैठक कर दोनो ही जगह अपनी सक्रिय भूमिका अदा करते थे। निःसंदेह संदीप भालोटिया की यह भूमिका रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स के आम सदस्यों ने बिल्कुल नगवार गुजरी। परन्तु आत्मविश्वास, घमंड, अहंकार और अभिमान से भरे संदीप भालोटिया अपने सामने किसी के भी परामर्श को हवा में उड़ा दिया करता था। कहते है न घमंड तो रावण का भी नहीं रहा, फिर हम आम इंसान की औकात ही क्या है। रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स के कार्यकारिणी समिति के चुनाव में इसबार एक भी सीटे टीआरपी को नहीं मिली और यह संकेत स्पष्ट दे डाला कि फिलहाल दो सालो के लिए चेम्बर की राजनीति में संदीप भालोटिया की नो-एंट्री लग चुकी है। इस चुनावी नतीजो पर स्वंय संदीप भालोटिया के दल ने हारने वाले लोगो का कहना है कि पहले भी हम सत्ता से दूर संदीप भालोटिया के अडि़यल और मनमौजी रवैये के कारण हुए और आज भी हमारी रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स में विरोधी शून्य अवस्था के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से संदीप भालोटिया जिम्मेदार है। कुछ व्यवसायियों का यह भी कहना है कि इसबार अगर महेश खेडि़या, सुनील गनेरीवाल के नेतृत्व में टीम बनती तो चेम्बर आॅफ काॅमर्स में किसकी सत्ता आती यह तो कहना मुश्किल है परन्तु इतना विश्वास जरुर था कि चेम्बर विरोधी शून्य तो कदापी नहीं होता।

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