रानीगंज में नहीं निकला ऐतिहासिक महावीर अखाड़ा, पुलिस-प्रशासन करता रह गया इंतजार

10 में से 4 अखाड़ा कमेटियों ने जताई थी रजामंदी


रूट में बदलाव के कारण एक भी अखाड़ा नहीं निकला




रानीगंज :- रानीगंज के इतिहास में पहली बार महावीर अखाड़ा नहीं निकला। पुलिस प्रशासन ने इस बार महावीर अखाड़े के लिए रूट में बदलाव किया था। माना जा रहा है कि रूट में हुए बदलाव से महावीर अखाड़ा कमेटियों के सदस्य संतुष्ट नहीं थे और इस बार एक भी अखाड़ा नहीं निकला। अखाड़ा कमेटियों द्वारा सिर्फ अपने-अपने इलाकों में विधिपूर्वक अस्त्र पूजा की गई। इस तरह से देखा जाए तो अखाड़ा कमेटियों ने सिर्फ पूजा पाठ तक की खुद को सीमित रखा। वे लोग पुलिस प्रशासन के तरफ से बनाए गए कैंप तक अखाड़ा लेकर नहीं पहुंचे। सोमवार की शाम ऐतिहासिक महावीर अखाड़ा निकाला जाना था। इसके लिए पुलिस प्रशासन के तरफ से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। बकायदा पुलिस प्रशासन के तरफ से एतवारी मोड़ के पास कैंप भी लगाया गया था। कैंप में आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि सोमवार देर रात तक अखाड़ों का इंतजार करते रहे। लेकिन एक भी अखाड़ा कैंप तक नहीं पहुंचा। बताया जा रहा है कि पुलिस प्रशासन के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मंगलवार मध्य रात 12 बजे तक अखाड़ों की राह देखते रहे। लेकिन सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई। 





सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोरोनावायरस महामारी के कारण पिछले 2 वर्षों से रानीगंज के ऐतिहासिक महावीर अखाड़ा की भव्यता पर असर पड़ा था। इस वर्ष कोरोना वायरस पर ब्रेक लगा है और उम्मीद जताई जा रही थी कि महावीर अखाड़ा अपने पुराने भव्य रूप में निकलेगा। परंतु ऐसा नहीं हुआ। रूट में किए गए बदलाव पर असहमति जताते हुए रानीगंज की 10 में से 6 अखाड़ा कमेटियों ने पहले ही अखाड़ा निकालने से इंकार कर दिया था। सिर्फ चार अखाड़ा कमेटियां अखाड़ा निकालने के लिए राजी हुई थी। लेकिन ऐन मौके पर इन चारों अखाड़ा कमेटियों ने भी अखाड़ा निकालने से इनकार कर दिया। महावीर अखाड़े को लेकर पुलिस प्रशासन के तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। लगभग 700 पुलिस बल की तैनाती की गई थी। पांच बैरिकेट्स लगाए गए थे और रैपिड एक्शन फोर्स भी उतारी गई थी। 


इस बार पुलिस प्रशासन के तरफ से तय किए गए रूट के अनुसार, महावीर अखाड़ों को तारबंगला से प्रवेश करना था और रानीगंज थाना, एतवारी मोड़, बड़ाबाजार से नेताजी मूर्ति होते हुए एनएसबी रोड के तरफ निकलना था। महावीर अखाड़े के लिए इस बार एतवारी मोड़ को केंद्र स्थल बनाया गया था जहां पुलिस प्रशासन का कैंप बना था इसी जगह पर अखाड़ा कमेटियों द्वारा खेल प्रदर्शित करना था। कैंप में आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के डीसी सेंट्रल डॉ कुलदीप एसएस, एसीपी सेंट्रल श्रीमंत बनर्जी, रानीगंज थाना के आईसी सुदीप दास गुप्ता समेत अन्य कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे। कई घंटों तक राह देखने के बावजूद भी महावीर अखाड़ा नहीं निकले और कैंप तक नहीं पहुंचे तो एक-एक कर सभी पुलिस अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि वापस लौट गए। इसके बाद अखाड़े नहीं निकलने के कारणों को लेकर अटकलें शुरू हो गई।


महावीर कोलियरी इलाके में जाकर देखा गया कि गोपाल बांध सर्वाना अखाड़ा कमेटी के सदस्य ढोल बाजे के साथ अस्त्र-शस्त्र की पूजा कर रहे थे। अखाड़ा नहीं निकाले जाने के सवाल पर अखाड़ा कमेटी के सदस्य सत्येंद्र राय ने कहा कि वर्ष 1970 में गोपाल बांध सर्वाना अखाड़ा कमेटी की स्थापना हुई थी और पिछले 50 वर्षों से अखाड़ा निकल रहा था। यह पहला मौका है जब रूट नहीं मिलने के कारण अखाड़ा नहीं निकला है। सिर्फ पूजा पाठ की गई है। उन्होंने कहा कि अगर हमें पुराना रूट मिलता तो अखाड़ा जरूर निकालते। अब इसमें किसका दोष दें और किसका नहीं। 


बहरहाल कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो रानीगंज के इतिहास में पहली बार महावीर अखाड़ा नहीं निकलने से अखाड़ा कमेटियों से लेकर आम लोगों में भी मायूसी देखी गई। क्योंकि लोग वर्षभर महावीर अखाड़ा की प्रतीक्षा करते हैं। पहले अखाड़ों के लिए शिव मंदिर रोड का रूट निर्धारित था और राजाबांध मोड़ के पास अखाड़े प्रदर्शित किए जाते थे। परंतु वर्ष 2018 में रानीगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद महावीर अखाड़े के रूप में बड़ा बदलाव किया गया था। पहले रोबिन सेन स्टेडियम में पहुंच कर अखाड़ा कमेटियों ने खेल प्रदर्शित किया था। इसके बाद फिर बदलाव किया गया और मारवाड़ी सनातन विद्यालय के पास कैंप बनाया गया था जहां अखाड़ा कमेटियों ने खेल दिखाया था। इस बार फिर रूप में बदलाव कर एतवारी मोड़ के पास कैंप बनाया गया था। 

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