Raniganj महावीर कोलियरी खान दुर्घटना पर Akshay Kumar की बनी फिल्म Mission Raniganj में कुछ हकीकतो से अछूती रहीं फिल्म और कुछ हकीकतो को फिल्मी बना दिया गया






रानीगंज : वर्ष 1989 में रानीगंज महावीर कोलियरी खान दुर्घटना और देश की सबसे बड़ी माइंस रेस्क्यू की सच्ची घटना पर आधारित फिल्म मिशन रानीगंज में अछुती रही कई महत्वपूर्ण बाते और माइंस रेस्क्यू की सच्ची घटना की कुछ दृश्यो को भी फिल्मी बना दिया गया, जो हकीकत से बिल्कुल परे है। फिल्म में दुर्घटना के बाद कोल इंडिया द्वारा लिए गए ईसीएल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवायी का कोई जिक्र नहीं है और साथ ही साथ रेस्क्यू मिशन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े अन्य मुख्य लोगो का भी जिक्र फिल्म में नहीं किया गया। शुक्रवार को रानीगंज महावीर कोलियरी खान दुर्घटना पर आधारित मिशन रानीगंज फिल्म रिलिज हुयी। रानीगंज चेम्बर आॅफ कामर्स के प्रयास से चेम्बर के सदस्यो एवं परिजनो ने फस्ट डे फस्ट शो का आनंद लिया और घटना से जुड़ी पुरानी यादे ताजा की। चेम्बर आॅफ कामर्स के अध्यक्ष अरुण भरतिया, कार्यकारी अध्यक्ष रोहित खेतान, फोस्बेक्की के अध्यक्ष आर.पी.खेतान समेत विशिष्ट लोगो ने रानीगंज के अंजना सिनेमा हाॅल में इस फिल्म का आनंद उठाया। लगभग 2 घण्टे से अधिक की फिल्म मिशन रानीगंज में कैप्सूल मैन जसवंत सिंह गील की भूमिका में नजर आए अभिनेता अक्षय कुमार की भूमिका बेहद आकर्षक रही। परन्तु सच्ची घटना पर आधारित फिल्म मिशन रानीगंज के कुछ दृश्य सच्चाई बयां नहीं कर पायी। फिल्म मिशन रानीगंज में कैप्सूल मैन जसवंत सिंह गील की भूमिका अदा कर रहे अक्षय कुमार को फिल्म की शुरुआत में ही दिखाया गया है। परन्तु हकीकत में खान दुर्घटना में स्वर्गीय जसवंत सिंह गील की एंट्री काफी समय बाद हुयी थी। फिल्म में दिखाया गया खदान में फंदे 65 श्रमिको से ईसीएल अधिकारियों का संपर्क शुरुआत में ही टूट गया था। परन्तु ऐसा नहीं था असल में ईसीएल अधिकारियों से श्रमिको का संपर्क कुछ घण्टे टूटा था। फिल्म में कहीं भी इस बात को नहीं दर्शाया गया है कि इस खान दुर्घटना के बाद श्रमिक यूनियनो ने केन्द्रीय कोयला मंत्री जाफर शरीफ को काले झण्डे दिखाए थे। या फिर रेस्क्यू स्थल पर पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय ज्योति बसु भी पहुंचे थे और घण्टो मिटिंग की थी। कुल मिलाकर मिशन रानीगंज का पिक्चराइजेशन आकर्षक बनाया गया है। क्योंकि अंडर ग्राउण्ड माइंस के श्रमिक और अधिकारियों को छोड़कर कुछ बहुत कम ऐसे लोग होते है जिन्हें अंडर ग्राउण्ड माइंस देखने का मौका मिलता है। इस फिल्म में अंडर ग्राउण्ड माइंस की जो दृश्य दिखाए गए है वो बेहद आकर्षक रहा। रेस्क्यू को लेकर फिल्म में असफल करने की जो राजनीति दिखायी गयी है उस बात से हकीकत का कोई संबंध नहीं है। फिर फिल्म तो फिल्म ही है, जो सच्ची और काल्पनिक बातो के मिश्रण से बनती है। फिल्म देखने के बाद दर्शको ने इसे काफी सराहा और ऐसा हो भी क्यो न, क्योंकि इस देश में बोरवेल से एक बच्चे को निकालने के लिए पूरे देशवासियों की दुआ और समुचे प्रशासन का प्रयास एक हो जाता है। जी, हां हम बात कर रहे है कुरुक्षेत्र में बोरवेल में फंसे बच्चे प्रिंस के रेस्क्यू मिशन की तो फिर जसवंत सिंह गील ने तो अपनी जान की परवाह किए बगैर खदान में फंसे 65 श्रमिको को निकालने के बाद स्वंय बाहर वापस आए। यहां आपको एक बार फिर बतो दे कोल इंडिया की इकाई ईसीएल के कुनुस्तोड़िया एरिया अंतर्गत रानीगंज महावीर कोलियरी के अंडर ग्राउण्ड माइंस में वर्ष 1989 में खान दुर्घटना में 220 श्रमिक फंस गए थे। इनमें से 149 श्रमिको को खदान की डोली से निकाला गया। जबकि 65 श्रमिको को युद्धस्तर के प्रयास के बाद कैप्सूल की सहारे 3 दिन बाद बाहर निकाला गया। देश की सबसे बड़ी इस खान रेस्क्यू में रानीगंज महावीर कोलियरी में 6 श्रमिको को नहीं बचाया जा सका था। इस फिल्म की रेटिंग-4 आयी है और दर्शको ने तो अक्षय कुमार को नेशनल अवार्ड दिए जाने की मांग की।

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