कोलकाता :- 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली (Sharmistha Panoli Granted Bail) को आखिरकार कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय ने शर्मिष्ठा की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया और उन्हें 10,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। इस फैसले का देश भर में बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था, क्योंकि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के विरोध में कई संगठनों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए थे और उनकी रिहाई के लिए लगातार आवाजें उठ रही थीं।
शर्मिष्ठा को 30 मई को गुरुग्राम से कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित एक वीडियो में कुछ बॉलीवुड सितारों की आलोचना करते हुए कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप था। इस मामले ने सोशल मीडिया और मुख्यधारा के मीडिया दोनों में व्यापक ध्यान आकर्षित किया था।
गिरफ्तारी के बाद, शर्मिष्ठा ने यह वीडियो हटा दिया था और बिना शर्त माफी भी मांगी थी, लेकिन इसके बावजूद उनके खिलाफ कई FIR दर्ज की गईं। 3 जून को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद वह न्यायिक हिरासत में थीं। इस फैसले ने कई लोगों को निराश किया था और उच्च न्यायालय के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं।
आज, बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी की पीठ ने सुनवाई के बाद शर्मिष्ठा को जमानत प्रदान की। कोर्ट ने सभी एफआईआर को एक ही केस में मर्ज करने का भी आदेश दिया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने पुलिस को शर्मिष्ठा को सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया है, क्योंकि उनके पिता ने पहले दावा किया था कि उनकी बेटी को बलात्कार और हत्या की धमकियाँ मिल रही थीं। इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। हालांकि, कोर्ट ने पूर्व में यह भी टिप्पणी की थी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।
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