बैंक ने यह कार्रवाई वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act, 2002) के प्रावधानों के तहत की है. यह अधिनियम बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने बकाया ऋणों की वसूली के लिए गिरवी रखी गई संपत्तियों पर कब्जा करने और उन्हें बेचने का अधिकार देता है, बशर्ते कर्जदार अपनी देनदारियों को पूरा करने में विफल रहा हो. जब कोई खाता NPA हो जाता है, तो बैंक इस अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकता है।
इस पूरी कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए एक व्यापक टीम मौजूद थी. इसमें आसनसोल कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसीवर सौरभ सरकार, अधिवक्ता संग्राम सिंह, इंडियन बैंक के चीफ मैनेजर प्रवीण कुमार, रिकवरी एजेंट राजीव बनर्जी और उनकी टीम (बिप्लब भट्टाचार्य, दिनेश सेन, श्रेया दास, नंदिता अईच, मिताली घटक, शुभंकर लाहिड़ी) शामिल थे. सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए आसनसोल दक्षिण थाना से अवर निरीक्षक मुक्तिनाथ साही और जियाउद्दीन अंसारी सहित पुलिस बल भी मौके पर मौजूद था.
यह कार्रवाई उन कर्जदारों के लिए एक कड़ी चेतावनी है जो बैंकों के ऋण चुकाने में लापरवाही बरतते हैं. बैंक यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे अपने बकाया ऋणों की वसूली के लिए कानूनी प्रावधानों का पूरी तरह से उपयोग करेंगे.
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