Asansol में घर में आग लगने से 3 लोगों की मौत का मामला, घटनास्थल पर पहुंची फॉरेंसिक टीम

आसनसोल :- आसनसोल साउथ पुलिस फाड़ी के अंतर्गत फतेहपुर स्थित स्वागतम रेजीडेंसी में शनिवार देर रात झारखंड के धनबाद जिले के निरसा निवासी कोयला व्यवसायी बबलू सिंह के घर (हाउस नंबर B2) में हुए भीषण अग्निकांड की जांच के लिए मंगलवार दोपहर क्षेत्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की चार सदस्यीय टीम पहुंची।

जांच दल के साथ आसनसोल साउथ थाना के आईसी कौशिक कुंडू, एसआई अमरनाथ दास, एसआई बंसीबदन कर्मकार, और कांस्टेबल ताहेरुद्दीन भी मौजूद थे, जिन्होंने फॉरेंसिक टीम को उनके काम में पूरा सहयोग दिया। फॉरेंसिक टीम ने घर की दोनों मंजिलों के हर कोने की बारीकी से जांच की और कई नमूने व कुछ सैंपल घर से एकत्रित किए। इसके अलावा, उन्होंने जांच के दौरान कुछ तस्वीरें भी लीं, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बबलू सिंह के घर में लगी आग कैसे और किस तरह लगी, इसकी सच्चाई जल्द ही पुलिस ही नहीं, बल्कि आसनसोल की आम जनता और बबलू के परिजनों के सामने आ जाएगी, जिसका सभी को इंतजार है।

फॉरेंसिक टीम द्वारा की जा रही जांच के दौरान बबलू के परिजनों के साथ-साथ शिल्पी चटर्जी की बहन पूजा चटर्जी भी मौके पर मौजूद थीं। जांच पूरी होने के बाद, आसनसोल साउथ थाना पुलिस ने घर में ताला लगाकर चाबी अपने साथ ले ली। इस दौरान उन्होंने स्वागतम रेजीडेंसी सोसाइटी के सभी सदस्यों को भी बुलाया और बताया कि जब शिल्पी चटर्जी पूरी तरह स्वस्थ होकर थाने आएंगी, तब बबलू के परिजनों को भी बुलाया जाएगा और दोनों पक्षों के बीच बात करवाई जाएगी। दोनों की सहमति से ही आगे कोई कदम उठाया जाएगा। अगर इस दौरान दोनों पक्षों के बीच किसी तरह की कोई समस्या खड़ी होती है, तो पुलिस कोई ठोस कदम उठाएगी। अगर मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंचता है, तो पुलिस न्यायालय के आदेश को मान्यता देगी और जिसके पक्ष में सुनवाई होगी, उसके पक्ष में खड़ी होकर घर की चाबी उसके हाथों में सौंप देगी। इस बीच, दोनों पक्षों को यह भी कहा गया है कि वे बीच-बीच में आकर अपना घर बाहर से देख सकते हैं, लेकिन उन्हें घर के अंदर तब तक जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक घर के दोनों दावेदार एक साथ उपस्थित न हों, चाहे वे शिल्पी के परिजन हों या बबलू के।

गौरतलब है कि शनिवार देर रात करीब 11 बजकर 30 मिनट पर बबलू के घर आग लगने की घटना उस वक्त घटी, जब घर में बबलू की कथित पत्नी शिल्पी चटर्जी और उसके कथित ससुर बीरेंद्र नाथ चंद व सास गायत्री चंद मौजूद थे। स्थानीय लोगों की मानें तो वे सब अपने-अपने घर में सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी अचानक उन्होंने शिल्पी चटर्जी के चीखने और चिल्लाने की आवाज सुनी। जिसके बाद वे भागे-भागे शिल्पी के घर पहुंचे। शिल्पी दरवाजे के सामने खड़ी थी और दरवाजा आग की चिंगारियों से घिरा था।

स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में पानी फेंककर आग पर काबू पाने की कोशिश की और किसी तरह शिल्पी को आग से बचाकर घर से बाहर निकाला और उसकी जान बचाई। इस बीच, स्थानीय लोगों ने शिल्पी से बार-बार पूछा कि घर में और कौन-कौन फंसा है। शिल्पी ने अपने पड़ोसियों को जवाब देते हुए कहा कि उसके माता-पिता आग में झुलस कर मर गए हैं। पड़ोसियों ने शिल्पी से बबलू सिंह के बारे में भी कई बार पूछा कि क्या बबलू घर पर है और क्या वह आग में फंसा है। शिल्पी ने पड़ोसियों को उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया और वह बार-बार यही बोलती रही कि उसके माता-पिता आग में जलकर मर गए।

इसी बीच, पड़ोसियों द्वारा दमकल विभाग को घटना की जानकारी देने के बाद मौके पर दमकल की एक इंजन पहुंच गई और उन्होंने आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी। आसनसोल साउथ पुलिस फाड़ी ने भी दमकल विभाग की टीम को खूब मदद की और आग में झुलस कर मारे जा चुके बबलू सिंह, उसके कथित ससुर बीरेंद्र नाथ चंद और सास गायत्री चंद के शवों को अपने कब्जे में लेकर आसनसोल जिला अस्पताल पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। जबकि आगजनी की घटना में जलकर घायल हुई शिल्पी चटर्जी को बेहतर इलाज के लिए दुर्गापुर के एक गैर सरकारी अस्पताल में भेजा गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है।


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