रानीगंज से गयी ठाकुर जी की बारात का वृंदावन के गली-गली में रही धूम


रानीगंज :  कहते है न कि केवल सक्षम होना ही पर्याप्त की निशानी नहीं होती है। बल्कि सक्षमता के साथ-साथ किसी भी कार्यक्रम को सफलता पूर्वक अंतिम पढ़ाव तक पहुंचाने के लिए नेक नियती, सच्ची लगन, कड़ी मेहनत और सबसे महत्वपूर्ण हृदयपूर्वक प्रेमभाव से सेवा। इन सबके मिश्रण से एक कार्यक्रम शत प्रतिशत संपूर्ण होता है। क्योंकि इसमें स्वंय ठाकुर जी शामिल होकर अपना आर्शीवाद कार्यक्रम पर बनाए रखते है। ऐसा ही एक धार्मिक कार्यक्रम रानीगंज के तोदी एवं सारदा परिवार ने संयुक्त तत्वावधान में ठाकुर जी के आर्शिवाद से सफलतापूर्वक संपन्न किया। ऐतिहासिक शहर रानीगंज ने फिर एकबार प्रमाणित किया कि हम केवल संपन्न शहर ही नहीं, परोपकारी भी है और धार्मिक भी। पांच दिन व्यापी ठाकुर जी की बारात का सफलतापूर्वक संपन्नता ने एक इतिहास रचा है। रानीगंज ही नहीं पूरे पश्चिम बर्दवान जिले में अतूलनीय धार्मिक कार्य की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। ठाकुर जी की बारात के इस पांच दिन व्यापी धार्मिक कार्यक्रम में बिजय कुमार तोदी उर्फ बिक्की और विशाल सारदा ने पिछले 3 महीने से दिल से कड़ी मेहनत की थी। रानीगंज से लगभग 1200 किलोमीटर दूर मथुरा वंृदावन में प्रभू श्री बांके बिहारी जी लाल का 3 दिन व्यापी त्रुटीमुक्त सामुहिक कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न किया। ठाकुर जी की बारात कार्यक्रम में रानीगंज, आसनसोल, कोलकाता, बनारस से लगभग 450 श्रद्धालु शामिल हुए एवं संयुक्त परिवार की संस्कृति के साथ वृंदावन में 3 दिन व्यापी धार्मिक कार्यक्रम को संपन्न किया। टूंडला रेलवे स्टेशन से लेकर वृंदावन की गलियों तक ठाकुर जी की बारात की धूम रही। जिस गलि से ठाकुर जी की बारात गुजरती, दोनो ओर लोग खड़े होकर यह जानने की कोशिश करते यह बारात किसकी है ? वृंदावन वासी उत्साहित नजरों से ठाकुर की बारात को निहारते। आसनसोल रेलवे स्टेशन से लेकर टूंडला स्टेशन तक ट्रेन में सवार अन्य यात्री ट्रेनों की सजावट को देखकर जिज्ञासू बन गया कि आखिर किसने इस ट्रेन के 5 बगियों को फूलों से सजा रखा है। एक वक्त तो ठाकुर जी की बारात में शामिल श्रद्धालु भूल ही गए कि वे किसी व्यक्ति के बारात में नहीं जा रहे बल्कि वृंदावन श्री बांके बिहारी लाल की बाराती बनकर जा रहे है। ट्रेन में ठाकुर जी की बारातियों का इस कदर स्वागत अतुलनीय एवं कल्पना के बाहर है। स्वादिष्ट भोजन से लेकर समय-समय पर चाय, फल, नास्ता, आइसक्रीम बारातियों को दी जा रही थी। इतना हीन हीं मनोरंजन का भी व्यवस्था किया गया था। कभी धार्मिक भजनों से तो कभी चने वाले की शेरो शायरी से। आसनसोल से 1200 किलोमीटर का सफर कब खत्म हो गया पता ही नहीं चला। 
27 जुन की सुबह होटल के बेंकक्वीट हाॅल में रासलीला का आयोजन में बारातियों ने खूब आनंद उठाया। इसके बाद इसी दिन शाम को यमुना नदी में 1100 फूट लंबी एक ही साड़ी यमुना मैया को पहनायी गयी। यमुना नदी में पूजा-अर्चणा के बाद सभी बाराती एक-एक कर दर्जनो नाव पर सवार होकर यमुना नदी के इस पार से उस पार तक चुंदरी को पहनाया। इस चुंदरी मनहोरत देखने लायक थी। इसके बाद 28 जुन को श्री बांके बिहार मंदिर में फूल बांग्ला का आयोजन किया गया था। पूरे श्री बांके बिहारी मंदिर को फूलों से सजाया गया था। फूल बांग्ला के इस आकर्षित सजावट से हर किसी का मन मोह लिया। ठाकुर जी की बारात में शामिल बारातियों ने फुल बांग्ला उत्सव के दौरान काफी करीब से ठाकुर जी के दर्शन कर भाव विभोर हो उठे। यहां बता दे कि श्री बांके बिहारी मंदिर में 8 अप्रैल से लेकर 24 जुलाई तक 108 दिनों तक फूल बांग्ला उत्सव चलता है। इस दौरान भगवान श्री बांके बिहारी को फूलों के विशेष मंडप में विराजमान किया जाता है ताकि श्री बांके बिहारी को गर्मी से राहत मिले। श्री बांके बिहारी मंदिर में फूल बांग्ला में प्रभू का दिव्य दर्शन प्राप्त होते है, जो एक अनोखा अनुभव होता है। 29 जुन यानी तीसरे दिन ठाकुर जी की बारातियों को रवाना करने से पूर्व वृंदावन से 21 किलोमीटर दूर गोवर्धन पर्वत के सामूहिक दर्शन कराए। यहां ने सभी ने गोवर्धन पर्वत की पूजा-पाठ की। निःसंदेह इस त्रुटि मुक्त कार्यक्रम में शामिल सभी श्रद्धालु बाराती संतुष्ट मन एवं उत्साह पूर्वक विचार लेकर अपने-अपने घर लौटे। सभी ने अपने-अपने विचार ठाकुर जी की बारात के व्हाट्सऐप ग्रुप में रखी। खासकर कार्यक्रम की सफलता के साथ-साथ आयोजन बिजय कुमार तोदी, उनकी धर्मपत्नी स्मृति तोदी समेत समुचे तोदी परिवार के प्रयासों की प्रशंसा की और हृदय भरकर आर्शीवाद दिया।



 

Post a Comment

0 Comments